दो दन बिना नेट का, अबे कद तक ने किन-किन को माथो चांटे!
भावेश कानूनगो
दो दन हुई गया नेट बंद पड़ियो हुओ थो। असो लगी रयो है जसे सगळा मांदा ज पड़ी गया। टेम पास नी हुई रयो दादा।डाक्साब की लाइन होय,रेलगाड़ी को इंतजार होय के गाड़ी से कई जइ रया होय, नेठू टेम नी कटी रयो । भोत सारा लोगना से म्हारी बात हुई। पूछियो क्यो दादा कसो लगी रयो हे ? एक दादा बोलिया- सूबे से शाम 4 बार बजार हुई आयो। सगळा से मिली के अई गयो अबे कद तक ने किन किन को माथो चाटू । लोगना बी सोची रया हे कि यो दादो आज कसे अई गयो।पण हालात तो उनकी बी म्हारा सरीखी हे। टेम तो उनको बी नी कटी रयो हे। पेला उनका पास जातो थो तो आधी बात म्हारा से करता ने फिर मोबाइल में चटकचाला करता ने अपना आप मे हँसता रेता।पण आज तो उनको पुरो ध्यान म्हारी बात पे ही टिकियों हुओ हे। बाकी मांदा पना का असर तो उनमें बी देखई रया हे। घुमई- फिरई के पूछी तो रया हे- यो अग्गो नेट चालू कब होयगो? जवाब बी उनके रटो रटायो मिली रयो हे मन भेलाने- जसो शाम तक हुई जायगो।
दादा से बात खतम हुई ज थी कि म्हारा दोस्त को फोन अई गयो। पेलो प्रश्न उनने म्हारा से पूछियो-क्यव रे, थारा यां नेट हे कंई?वोज जवाब जो सगला खे चिपकाते आय रयो, उनके बी चिपकई दियो ! बात के आगे म्हने बढायो- क्यव दादा, दन कसो कटी रयो है? उनने दांत काढते हुए म्हारे जवाब दियो-थारी भाभी सूबे से भोत खुश हे ।खुद ई उनसे बात करी ले अने उनने फोन बयरा के थमई दियो। भाबी ने फोन हात में धरतेज सगली भड़ास हेड दी-हो दन भर ऊना डब्बा से माथो फोड़ता था अग्गो । अबे थोड़ो म्हारा लिए तो टेम मिलीयो इनखे। छोरा को ब्याव माथा पे अई गयो हे इनके इना डब्बा से फुरसत मिले तो ब्याव की तैयारी करे छोरा की। अच्छो हुओ अग्गो बंद करी दियो। छोरा का ब्याव तक बंद रे तो ओर अच्छो।ब्याव अच्छी तरे से निपटई देगा।म्हने बी मन में सोचियो की इनका छोरा का ब्याव का चक्कर मे भोत सारा को तलाक करवई देगा। फोन से माथा फोड़ी नी होएगी तो धनी बेरा आपस मे माथा फोड़ी करेगा ने फिर कई हुई जायेगो तो माथाफोड़ी अलग। म्हने उनके राम राम करी फोन धर दियो।दूसरा जना म्हारै मोबाइल में लिखते हुए देखी के असे घुरी रया था, जने जसे म्हने ज उनको नेट बन्द करी खे रखियो हे। एक ने आते सेज कड़क अवाज में पूछियो- क्यो रे ,थारो नेट चालू हे कई ? म्हने वोज जवाब पेली दियो-नी दादा कई मोबाइल पे लिखी रयो हूँ। उनने बी अपनो दुखड़ो सुनई दियो।अब अवाज में थोड़ी नरमी थी। सूबे माय से लोगना का फोन ई रया हे मेल करी दियो हे। यो माल म्हारी कंपनी में भेजो।पण भेजू कां से म्हारा हाड़का भेजू कंई ? नेट चले तो मेल देखू कि आखिर मंगायो कई हे। अच्छो हुओ कोई आज भगवान के प्यारो नी हुओ नी तो की ओकी खबर कसे लोगना खे लगती ने कसे ओके लई के जाता ।
एक बई अलग नी मानी रय थी ।पास से गुज़रियो तो ओने बी मजा लेने का हिसाब से बोली दियो- महारो नेट तो चली रयो हे। मने ओका मुंडा तरफ गुस्सा से देखी के बोलियो जल्दी बता, थारो नेट कसे चली रयो हे? ओने भी अपनी गलती मानते हुए खिसियानी बिल्ली की तरे बोलियो-अरे दादा में तो मजाक करी रय हूँ। दादा कल से में परेशान हुई गई। सूबे देखियो तो छोरा छोरी बोले- जी थारो नेट बेलेंस खत्म हुई गयो हे।म्हने उनके बोलियो अबी तो डलवायो थो रे। कसे खतम हुई गयो। बाद में मालम पड़यो अग्गो कि प्रशासन ने नेट बंद करवायो हे।
कुल मिलई के हम असा नेट पे निर्भर हुई गया हां की हम सगळा खे नेट का अलावा कंई सूझ नी पड़ी रय हे। सगला मुण्डो धोय ने बठिया हे कि कद नेट चालू होय ने हम शुरु होंय।आखिरकार नेट चालू हुई ग्यो ने सगळा वापस ऊना उतापा में लगी गया
भावेश कानूनगो