क्या कह रहे है जस्टिस बोसे, अयोध्या फैसले पर

अयोध्या केस पर फैसले का संदेश है कि यह विवाद अब खत्म हो चुका है : जस्टिस बोबडे



 






हाइलाइट्स:



  • अयोध्या विवाद के फैसले पर जस्टिस बोबडे ने कहा, 'संदेश यही है कि विवाद अब खत्म हो चुका है'

  • जस्टिस बोबडे 18 नवंबर को देश के अगले चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे

  • फैसले से पहले कानून और व्यवस्था को लेकर चिंतित होने की बात भी जस्टिस बोबडे ने स्वीकार किया।






 




अजमेर सिंह, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस बनने जा रहे जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने अयोध्या केस पर सर्वसहमति से फैसले को ऐतिहासिक बताया। अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए जस्टिस बोबडे ने अयोध्या फैसले, न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए सरकार पर दबाव समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की। पढ़ें इंटरव्यू के खास अंश...
 

अयोध्या फैसले पर कैसे सर्वसहमति बन सकी?
यह हम सभी की आपसी सहमति से तय हुआ था कि फैसला सर्वसहमति से ही आए।

क्या आप पहले से ही इसके लिए सहमत थे, या फिर आगे बढ़ते हुए ऐसा हुआ? फैसले के ऑथर कौन थे?

हम सब सहमत थे... जब सोच समान होती है तो कोई एक व्यक्ति ही फैसले को लिखता है। फैसला हमेशा सर्वोच्च अदालत के निर्णय के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा मैं किसी और विषय में नहीं जाना चाहूंगा।


 

क्या यह आपके पास आए मुकदमों में सबसे मुश्किल केस था?
हां, महत्वपूर्ण था।



 






आप फैसले तक कैसे पहुंचे?
मैं इसके बारे में कुछ ज्यादा बात नहीं करना चाहता हूं। हमने फैसला दे दिया है और यह काफी है।

आप फैसले से पहले कानून-व्यवस्था को लेकर कितना चिंतित थे? चीफ जस्टिस ने उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी और डीजीप से....
यह बड़ा काम था, चिंता तो थी ही। हम संतुष्ट हैं कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।

इस फैसले के साथ एक संदेश क्या जाता है?
संदेश यही है कि विवाद अब खत्म हो चुका है।

क्या आप इस पर सहमत हैं कि सरकार जजों की नियुक्ति परोक्ष तौर पर प्रभावित करती है जैसे प्रस्तावों और सिफारिशों को लागू करने में जबरन देरी करना?



 





ऐसे कहना ठीक नहीं होगा। आप देख सकते हैं कि हजारों नियुक्तियां बिना किसी अवरोध के हो रही है। सरकार एक महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर है और कोई रब स्टांप नहीं। नियुक्ति का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास होता है... आप सरकार की भूमिका को बहुत विस्तृत करके नहीं देख सकते हैं। फैसलों को देखते हुए कह सकते हैं कि जजों की नियुक्ति में जज की भूमिका बड़ी होती है। नाम कोर्ट की तरफ से ही आने चाहिए।