राजीव गांधी ने बनवाया था शेषन को चुनाव आयुक्त

 


राजीव ने शेषन को बनवाया था चुनाव आयुक्त 


सतीश जोशी 


राजीव गांधी की सलाह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने टी एन शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया। तब उनकी सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही थी। बहरहाल, शेषन ने चुनाव आयोग की वास्तविक ताकत का अहसास राजनीतिक दलों को करवाया। भारत का दसवां चुनाव आयुक्त धनबल, बाहुबल और सत्ताबल के खिलाफ चट्टान बनकर खड़ा हुआ। उनके कार्यकाल में चुनाव आयोग का यह रुतबा था कि राजनेता भय खाते थे।


उन्हें चुनाव प्रक्रिया में शुचिता व पारदर्शिता स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। शेषन ने चुनाव प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने के लिए मतदाता पहचानपत्र की शुरुआत करवायी। राजनेताओं ने इस प्रक्रिया को खर्चीली बताकर इसका विरोध किया। मगर शेषन डटे रहे। कुछ राज्यों में मतदाता पहचानपत्र न बनने के कारण चुनाव स्थगित भी कराये गये। दरअसल, शेषन ने तमाम ऐसी बुराइयों को दूर किया जो पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया में बाधक थीं। अब चाहे उम्मीदवारों के बेतहाशा खर्चे पर नियंत्रण करना हो या फिर चुनाव प्रचार में सरकारी हेलिकॉप्टर का उपयोग रोकना हो, दीवारों पर नारे व पोस्टर लगाने पर रोक हो अथवा लाउडस्पीकरों के शोर पर रोक लगाना हो या फिर सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले भाषणों पर प्रतिबंध लगाना हो, शेषन ने सख्ती से अंकुश लगवाया। शेषन की स्पष्ट धारणा थी कि मैं सिर्फ कानून का अनुपालन करता हूं।  आपको यदि पसंद नहीं तो कानून बदल दीजिए, मगर मैं कानून टूटने नहीं दूंगा। शेषन द्वारा स्थापित सुव्यवस्थित चुनाव प्रक्रिया ने पूरी दुनिया को पारदर्शी चुनाव कार्यक्रम के लिए प्रेरित किया। उनके इस विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1996 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे अवार्ड भी दिया गया। यह एक विडंबना ही है कि वे जब राष्ट्रपति का चुनाव लड़े तो उन्हें असफलता ही हाथ लगी।